आज ही के दिन हुआ था झारखंड का जलियांवाला बाग कांड

1 जनवरी को जब पूरा देश नववर्ष के जश्न में डूबा होता है, झारखंड का एक ऐसा भी हिस्सा है जो आज भी अपने अमर शहीदों को याद कर सिसकियां भरता है। भारत की आज़ादी के करीब पांच महीने बाद 1 जनवरी, 1948 को तब खरसावां ‘आज़ाद भारत के जलियांवाला बाग़ कांड’ का गवाह बन गया या।

उस दिन साप्ताहिक हाट का दिन था। उड़ीसा सरकार ने पूरे इलाक़े को पुलिस छावनी में बदल दिया था। खरसावां हाट में करीब 30 हज़ार आदिवासियों की भीड़ पर उड़ीसा मिलिट्री पुलिस गोली चलायी थी। इस गोलीकांड में कितने लोग मारे गए इस पर अलग-अलग दावे हैं और इन दावों में भारी अंतर है, लेकिन एक दावा ऐसा भी है जिसमें दो हजार आदिवासियों के मारे जाने का दावा किया गया है। पूर्व सांसद और महाराजा पीके देव की किताब ‘मेमोयर ऑफ ए बायगॉन एरा’ के मुताबिक इस घटना में दो हज़ार लोग मारे गए थे।

आखिर यह वीभत्स गोलीकांड क्यों किया गया था, क्योंकि खरसावां उड़ीसा में विलय का विरोध किया था। इन्हीं विरोध करने वाले तीस हजार आदिवासियों पर पुलिस ने फायरिंग की थी। इस गोलीकांड की जांच के लिए ट्रिब्यूनल का भी गठन किया गया था, पर उसकी रिपोर्ट का क्या हुआ, किसी को पता नहीं।

अर्जुन मुंडा ने समाधि स्थल पर दी श्रद्धांजलि

पूर्व केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा खरसावां शहीद दिवस पर खरसावां पहुंचे और गोलीकांड के शहीदों के लिए बनाये गये शहीद स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित की। शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी पहुंचने वाले हैं।

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