10 वर्षो से अधिक समय बाद सोहराय पर्व में खूंटव मनाया गया

दुमका,

सरी धर्म अखड़ा,दिसोम मरांग बुरु युग जाहेर अखड़ा और दिसोम मरांग बुरु संताली आरीचली आर लेगचर अखड़ा के संयुक्त प्रयासों से दुमका प्रखंड के दुंदिया और धतिकबोना गांव में ग्रामीणों ने सोहराय का खूंटव माह बहुत धूमधाम से मनाया गया। सोहराय पर्व के तीसरे दिन को खूंटव माह(दिन) कहा जाता है। इन दोनों गांवों में 10 वर्षो से अधिक समय से ग्रामीण खूंटव माह नही मनाया जा रहा था,जो विलुप्त के कगार तक पहुंच चुका था। आज भी संताल परगना के कई गांवों में खूंटव माह में खूंटव नही किया जाता है। समाजसेवी सच्चिदानंद सोरेन के प्रयास और अखड़ा के सहयोग से इन दोनों गांव के ग्रामीणों ने खूंटव माह में खूंटव किया और बहुत धूमधाम से मनाया।

क्या है सोहराय पर्व का खूंटव माह 

संताल आदिवासी के सोहराय पर्व के तीसरे दिन को खूंटव माह कहते है। इस दिन को ग्रामीण अपने घर के सामने खुटा गाड़ कर उसमें गाय या बैल या भैस को बांधते है। उसके बाद उसका विधिवत पूजा करते है। महिला,पुरुष और बच्चे इन मवेशियों के सम्मान में डोबोह(जोहार) करते है। उसके बाद उसके सम्मान में सभी उसके चारो ओर मांदर के थाप पर नाच गान करते है। इस मौके में सुरेश टुडू,सोम हांसदा,माने टुडू,सुलेमान मुर्मू,सुनील टुडू ,सुजीत मुर्मू ,सुमित हांसदा,पलटन किस्कु,नंदलाल सोरेन , अशोक मुर्मू , सुनील मरांडी , मंगल मरांडी , विनोद हेंब्रम ,शीतल मरांडी , सूरज मरांडी लुखीराम मुर्मू , मति हेंब्रम , सुनीता मुर्मू , मकलू हांसदा , निशा मरांडी , सनिया सोरेन , सोनी सोरेन , नैनतारा हेंब्रम, पकलू मुर्मू, सुहागिनी हेंब्रम आदि उपस्थित थे।

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