चंपाई सोरेन की ना और X से जेएमएम गायब !

रांची

झारखंड मुक्ति मोर्चा में इन दिनों वापस पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन सुर्खियों में आ गये हैं। इससे पहले वो सुर्खियों में तब आये थे, जब हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद उनके सीएम बनाये जाने की घोषणा हुई थी। लेकिन तब झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उन्हें सीएम की कुर्सी पर काबिज किया था और अब झारखंड मुक्ति मोर्चा से जाने को लेकर चर्चाएं गर्म है। इसी बीच वो जमशेदपुर से सड़क के रास्ते कोलकाता जाना और फिर दिल्ली पहुंच जाना चर्चाओं को चरम पर पहुंचा देता है। दिल्ली पहुंचने के कुछ देर बाद ही उनके सोशल मीडिया साइट से ही नहीं बल्कि उनके घर से भी पार्टी सिंबर यानि तीर-धनुष उतर जाता है। बात सिर्फ यहां तक ही नहीं रूकते, बल्कि बिना मंत्री पद से इस्तिफा दिये, उन्होंने X पर फॉर्मर मिनिस्टर लिख दिया। इतने सारे संयोग एक साथ नहीं हो सकते। बात कुछ हद तक पक्की है, यही वजह है कि शनिवार से मीडिया उनके पीछे पड़ गयी है और बस अब बीजेपी में जाने का इंतजार है। कोल्हान टाईगर के नाम से चर्चित चंपाई सोरेन कोल्हान के बड़े नेता है और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सबसे भरोसेमंद नेता भी। उनके बीजेपी में जाने की बात उनके पार्टी नेताओँ को हैरान कर रही है। जेएमएम के नेता कह रहे कि चंपाई सोरेन अपने आदिवासी आवाम् को धोखा नहीं दे सकते।

दिल्ली में कही ये बात

दिल्ली पहुंचकर उन्होंने मीडिया में कहा कि वो अपनी बेटी से मिलने और रूटिन चेकअप के लिए आये हैं। ये बात मीडिया को पल्ले नहीं पड़ रही। खबर है कि वो जल्द ही बीजेपी के नेताओँ से मिलकर आधिकारिक रूप से कमल थामेंगे। कुछ विधायकों के साथ होने की चर्चा खबर है कि चंपाई सोरेन के साथ बहरागोड़ा विधायक समीर मोहंती, पोटका विधायक संजीव सरदार, घाटशिला विधायक रामदास सोरेन, खरसांवा विधायक दशरथ गगराई सहित जेएमएम के निष्काषित पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रम और चमरा लिंडा भी बीजेपी में जा सकते हैं। एक सांसद के नाम की चर्चा भी जोरों पर है।

क्या झारखंड राष्ट्रपति शासन की ओर

47 विधायकों के साथ बहुमत की सरकार की गद्दी पर बैठे हेमंत सोरेन के आधे दर्जन से ज्यादा विधायकों का बीजेपी में शामिल होना सरकार के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। कांग्रेस और राजद के साथ मिलकर झारखंड में जेएमएम की सरकार फिर अल्पमत में आ जायेगी। ऐसे में यहां राष्ट्रपति शासन लगना तय है। साल के अंत में यहां विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में राष्ट्रपति शासन के विकल्प के साथ ही राज्य में चुनाव हो सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *