सुरेन्द्र लाल सोरेन, रांची
जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में चुनाव के तारीखों के ऐलान हो चुके हैं और इससे बड़ी खबर झारखंड से हैं, जहां इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, हलांकि इन दोनों राज्यों के साथ झारखंड विधानसभा के चुनाव नहीं होंगे, यह तय हो गया है। झारखंड में बीजेपी ने सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा में बड़ी सेंधमारी की तैयारी की है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के कोल्हान प्रमंडल के कई विधायक भारतीय जनता पार्टी के संपर्क में है। इसमें सबसे बड़ा नाम चंपाई सोरेन का है, जो महज 5 माह के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे। संकट की घड़ी में झारखंड मुक्ति मोर्चा और सोरेन परिवार के सबसे बड़े सिपहसालार चंपाई सोरेन की बीजेपी में जाने की चर्चा ने झारखंड की राजनीतिक गलियारे में सबको हैरानी में डाल दिया है। चर्चा तो यह भी है कि वो अपने साथ कोल्हान के आधे दर्जन नेता और विधायकों को लेकर भारतीय जनता पार्टी में जायेंगे। गर ऐसा हुआ तो आगामी विधानसभा चुनाव में मुकाबला बीजेपी बनाम् जेएमएम नहीं बल्कि जेएमएम बनाम जेएमएम हो जायेगा। संताल परगना के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा को सबसे अधिक सीटें कोल्हान से मिली है, जहां से पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन आते हैं। सन 2000 के विधानसभा चुनाव को छोड़कर 1991 के बाद कोई भी उनके सीट सरायकेला को नहीं भेद पाया है। उनके बीजेपी में चले जाने से झारखंड मुक्ति मोर्चा को कोल्हान में बड़ा नुकसान हो सकता है। हालांकि चर्चा यह भी है कि कोल्हान के कई विधायक और नेता बीजेपी के संपर्क में है।
हेमंत के जेल जाते चंपाई बनें थे सीएम
31 जनवरी 2024 को ईडी ने जमीन घोटाले मामले में हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया। उनके गिरफ्तारी के बाद चंपाई सोरेन की किस्मत ने करवट ली और उन्हें सीएम की कुर्सी मिली। हालांकि उनके अच्छे दिन ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाये और हेमंत सोरेन के 28 जून को जमानत पर रिहाई के बाद ही उनकी कुर्सी पर संकट मंडराने लगे थे। 4 जुलाई को हेमंत सोरेन ने वापस गद्दी संभाली और चंपाई सोरेन को वापस मंत्री बना दिया।
लोबिन हेम्ब्रम के जाने की वजह
झारखंड मुक्ति मोर्चा से निष्काषित और अपनी विधानसभा की सदस्यता गंवा चुके जेएमएम के विधायक लोबिन हेम्ब्रम के बीजेपी में जाने के पूरे आसार है। उनके दिल्ली में कैंप करने के खबर की पुष्टि हो चुकी है और उन्होंने दावा किया है कि एक दो दिनों में सबकुछ साफ हो जायेगा। लोकसभा चुनाव 2024 में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में राजमहल से उतरे लोबिन हेम्ब्रम को काफी कम मत मिले। 25 जुलाई को विधानसभा ने उनके दलबदल के मामले की सुनवाई करते हुए उनकी सदस्यता रद्द कर दी। उसके बाद से ही उनके बीजेपी में जाने की संभावना जोर पकड़ने लगी थी।