मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन से मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति के 51 सदस्य प्रतिनिधिमंडल ने की मुलाकात, सौंपा ज्ञापन

रांची,

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से कांके रोड रांची स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति के 51 सदस्य प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री को प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों ने एक ज्ञापन के माध्यम से मरांङ बुरू (पारसनाथ) पीरटांड, गिरिडीह (झारखण्ड) संथाल आदिवासियों के धार्मिक तीर्थ स्थल को संरक्षित करने एवं प्रबंधन निगरानी, नियंत्रण एवं अनुश्रवण के लिए ग्राम सभा को जिम्मेवारी देने संबंधित कुछ महत्वपूर्ण मांगों से अवगत कराया। मौके पर विशेष रूप से दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री फागू बेसरा, मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति (संथाल समाज) के अध्यक्ष रामलाल मुर्मू एवं साहित्यकार भोगला सोरेन उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन को मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों ने अवगत कराया कि मरांङ बुरू (पारसनाथ पर्वत) पीरटांड, गिरिडीह (झारखण्ड) युगों-युगों से प्राचीन काल से हम संथाल समुदाय “मरांङ बुरू” को ईश्वर के रूप में पूजा करते आ रहें हैं। छोटानगपुर काश्तकारी अधिनियम 1908, सर्वे भूमि अधिकार अभिलेख, कमीश्नरी कोर्ट, पटना हाई कोर्ट एवं प्रीवी कौन्सील कोर्ट से संथाल आदिवासियों को प्रथागत अधिकार (Customary right) प्राप्त है ,अत: झारखण्ड़ सरकार से माँग है कि मरांङ बुरू (पारसनाथ पर्वत) को संथालों का धार्मिक तीर्थ स्थल घोषित किया जाए।

मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति (संथाल समाज) की अन्य मांगे

भूमि एवं धार्मिक स्थल संविधान के अनुसार राज्यों का विषय है। झारखण्ड सरकार से माँग है कि आदिवासियों के धार्मिक स्थल मरांङ बुरू, लुगू बुरू, अतु/ग्राम, जाहेर थान (सरना), माँझी थान, मसना, हड़गडी आदि धार्मिक स्थल की रक्षा के लिए आदिवासी धार्मिक स्थल संरक्षण अधिनियम बनाया जाए। भारत सरकार पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मन्त्रालय संशोधन मेमोरंडम पत्र F.No 11-584/2014-WL दिनाक 05 जनवरी 2023 एवं झारखण्ड सरकार पर्यटन, कला, संस्कृक्ति विभाग के पत्रांक 1391, दिनांक 22.10.2016 एवं विभागीय पत्रांक 14/2010-1995 दिनांक 21.12.2022 का दिशा-निर्देश जिसमें मौस मदीरा के सेवन एवं खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है। मरांङ बुरू (पारसनाथ पहाड़) को सिर्फ जैन समुदाय का सम्मेद शिखर विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल का उल्लेख किया गया है, जो जैन समुदाय के पक्ष में एक तरफा एवं असंवैधानिक आदेश है। उसे रद्द किया जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *