टंड़वा प्रखंड के कारों में ग्रामसभा कारों एवं वन अधिकार समिति के तत्वधान में हूल दिवस एवं सामुदायिक वन अधिकार जागरूकता कार्यक्रम

टंडवा, लातेहार

ग्रामसभा आदिवासियों मूलवासियो का अपना शासन व्यस्था है और इसे मजबूत किए बिना हम अपना अस्तित्व नहीं बचा सकते – विकास महतो

आज टंड़वा प्रखंड के कारों में ग्रामसभा कारों एवं वन अधिकार समिति के तत्वधान में हूल दिवस एवं सामुदायिक वन अधिकार जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि विकास महतो ने संथाल विद्रोह के नायकों शहीदों को याद करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित किया। संथाल विद्रोह के नायक सिंधो कान्हू चाँद भैरव फूलो झानों चाणकू महतो बैजल सोरेन राजवीर सिंह का नेतृत्व में हूल क्रांति का बिंगुल पुरे संथाल और छोटानागपुर आंदोलित हुआ था। मुख्य अतिथि ने जोर देकर कहा – जल जंगल और जमीन ये है ग्रामसभा के अधीन लेकिन कोई सरकार इसे लागू करना नहीं चाहती, कारपोरेट और बाहरी हित के लिए वन अधिकार क़ानून को मृतव्यस्था में डाल दिया गया है। ये सरकार कि अतिमहत्वकांक्षी क़ानून है जिसे लागू होने से 70% ग्रामीणों का आजीविकापार्जन सम्भव हो पाएगा दुर्भाग्य है की इतनी महत्वपूर्ण क़ानून सरकारी उपेक्षा का शिकार हो गया है। विशिष्ट अतिथि पुनीत मिंज ने कहा की वन अधिकार क़ानून लागू करने को लेकर सरकारी अधिकारीयों,सरकार और जनप्रतिनिधियों की मंसा ठीक नहीं है और उसे मानसिकता को बदले बैगर ग्रामीणों क़े इस क़ानून का अमलीजामा नहीं पहना सकते. वही विशिष्ट अतिथि रोशन होरो ने कहा ग्रामीणों को अपनी संसाधनों पर मालिकाना अधिकार समझना होगा मालिकीयत की भावना विकसित किए बैगर अधिकार नहीं ले सकते।
हूल दिवस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप युवा आंदोलनकारी समाज सेवी विकाश महतो एवं विशिष्ठ अतिथि कीचटो पंचायत मुखिया श्री मती संगीता देवी ,चतरा जिला वनधिकार समिति अध्यक्ष अशोक भारती, संतोष कुमार महतो रीता बारला रोशन होरो, पुनीत दा,सुमन दीदी, रूपलाल महतो, रामकुमार उरांव अंगद महतो अनिल महतो एवं दर्शन गंझू ने भी कार्यक्रम का संबोधित किया।

सभी वक्ताओं ने हूल दिवस सह वनाधिकार जागरूकता पर गांव गांव में ग्राम सभा बनने और वन अधिकार कानून में मिले अधिकारो पर ग्रामीणों को जागरूक रहने पर जोर दिया सभी ने संथाल विद्रोह के नायक हूल दिवस पर चांद भैरव सिद्धू कानू फूलों झानो को याद कर कहा की ये सभी महा पुरुषों ने जल जंगल जमीन के लिए अग्रेजों से विद्रोह किया गया था। इसलिए आज वनधिकार के तहत मिले अधिकारो के तहत् जल जंगल जमीन बचाने की जरूरत है।
वही विशिष्ट अतिथि रोशन होरो ने कहा ग्रामीणों को अपनी संसाधनों पर मालिकाना अधिकार समझना होगा मालिकीयत की भावना विकसित किए बैगर अधिकार नहीं ले सकते।
मौके पर प्रेम सुंदर लकड़ा, अनूप उरांव, सतेंद्र कुजूर, भोला उरांव, बुधन महतो, रामचंद्र महतो, शीलबानुश किस्पोट्टा, धनेश्वर उरांव, रूपु महतो प्रियंका देवी, चिंता देवी प्रभा कुजूर वीणा देवी, गोविंद उरांव, माइनो देवी, मुनेश मुंडा, धनंजय महतो, मीना देवी, सुशील देवी सहित सैकड़ों की संख्या में महिला पुरुष शामिल थे।

 

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