चाईबासा,
चाईबासा के गुवा गोलीकांड की बरसी पर सीएम हेमंत सोरेन ने शहीदों को याद किया और उन्हें श्रृद्धांजलि दी। वंही शहीदों के स्मृति में आयोजित श्रृद्धांजलि सभा सह परियोजना का उद्घाटन शिलान्यास में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभुकों के बीच परिसंपत्ति का वितरण किया गया।
क्या है गुवा गोलीकांड
तारीख 8 सितंबर 1980 का दिन यानि आज से 43 वर्ष पहले आजाद भारत में जालियांवाला बाग जैसे घटना घटी थी। इसकी बर्बरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस की गोली से घायल आदिवासियों को जब गुवा के अस्पताल में ईलाज के ले जाया गया था, तो वहां आठ आदिवासियों को लाइन में खड़ा करके गोली मारी गई थी। सुत्रों के मुताबिक जंगल आंदोलन कर रहे आदिवासियों को जबरन पुलिस ने सैंकड़ो आदिवासियों को जेल में बंद कर दिया था, जिसमें बहादुर उरांव द्वारा प्रकाशित “बलिदान” वार्षिक स्मारिका 2011 में लिखा गया है कि लगभग 108 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।
घटना की शुरूआत कुछ इस प्रकार हुई कि खनन और जंगल बचाओ आंदोलन कर रहे आदिवासी जिसका नेतृत्व पूर्व विधायक बहादुर उरांव, भूवनेश्वर महतो,मछुवा गगराई इत्यादि कर रहे थे। पुलिस प्रशासन ने उस आंदोलन को दबाने की कोशिश की और आंदोलनकारियों से कहा कि जल्द से जल्द इस भीड़ को भंग करें, तो नेतृत्वकर्ता ने कहा कि हम अपनी मांग पत्र सौंप के क़रीब एक घंटा मीटिंग करके चले जायेंगे। फिर पुलिस ने कहा कि जल्दी खत्म करो और वह भी पांच मिनट के अंदर, लेकिन गुवा बाजार में आंदोलनकारियों कि भीड़ इतनी अधिक थी कि लगभग 5000 और उस भीड़ को पांच मिनट खत्म करना संभव नहीं था। आंदोलनकारियों की मांग थी कि 108 गिरफ्तारी लोगों को रिहाई, पुलिस ज़ुल्म बंद हो, गुवा,जामदा के मजदूरों के स्थायीकरण व जमीन के मुआवजे का भुगतान के साथ अलग झारखंड की मांग शामिल थी। कुछ देर में पुलिस जबरदस्ती करने लगी और आंदोलनकारियों पर टुट पड़े । लाठीचार्ज हुई साथ साथ में फायरिंग भी हुई जिससे आंदोलनकारियों की भीड़ अनियंत्रित हो गयी और आंदोलनकारियों और पुलिस के तीर धनुष की मुठभेड़ लगभग एक घंटा तक चली। जिसमें सरकारी सुत्रों के मुताबिक 11 आदिवासियों एवं 4 पुलिस जवानों शहीद हो गए।