संथाल समुदाय की राजनीति का एक समृद्ध और संघर्षपूर्ण इतिहास है। 1855 में संथाल विद्रोह, जिसे संथाल हूल के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण आंदोलन था1. सिदो और कान्हू मुर्मू के नेतृत्व में इस विद्रोह ने संथाल समुदाय की राजनीतिक जागरूकता को बढ़ावा दिया1. आज, संथाल समुदाय के नेता विभिन्न राजनीतिक दलों में सक्रिय हैं और झारखंड, पश्चिम बंगाल, और ओडिशा जैसे राज्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं2. संथाल राजनीति में भूमि अधिकार, शिक्षा, और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जाता है3.
क्या आप संथाल समुदाय के किसी अन्य पहलू के बारे में जानना चाहेंगे?