दिल्ली
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र से आये माओवादी हिंसा के पीड़ितों से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। इस दौरान 50 से अधिक पहुंचे पीड़ितों ने राष्ट्रपति के समक्ष अपनी पीड़ा बतायी। उन्होंने कहा कि नक्सलियों के द्वारा बिछाये गये बारूदी सुरंग से आये दिन ग्रामीण चपेट में आ रहे। बस्तर से अपनी पीड़ा बताने राष्ट्रपति भवन पहुंची 16 वर्षीय राधा सलाम ने बताया कि माओवादी हिंसा के कारण उसने अपने एक आंख गांवा दी है। राधा के साथ यह घठना तब हुई , जब वो सिर्फ तीन साल की थी। वहीं एक अन्य पीड़ित महादेव ने बताया कि वह बस से लौट रहा था तब माओवादियों ने बस में बम ब्लास्ट कर दिया जिससे उनकी एक पैर चली गयी। मुलाकातियों से सहानुभूति रखते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी उद्देश्य हिंसा के रास्ते पर चलने को उचित नहीं ठहरा सकता, जो हमेशा समाज के लिए बहुत महंगा साबित होता है। वामपंथी उग्रवादियों को हिंसा का त्याग करना चाहिए, मुख्यधारा में शामिल होना चाहिए, और वे जो भी समस्याएँ उजागर करना चाहते हैं, उन्हें हल करने के लिए सभी प्रयास किए जाएँगे। यही लोकतंत्र का रास्ता है और यही रास्ता महात्मा गांधी ने हमें दिखाया था। हिंसा से त्रस्त इस दुनिया में हमें शांति के रास्ते पर चलने का प्रयास करना चाहिए।